November 10, 2025
1743089313_IMG-20250130-WA0044.jpg

देहरादून। उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजकीय महाविद्यालयों में संस्कृत के एक दर्जन असिस्टेंट प्रोफेसरों को प्रथम तैनाती दे दी गई है। राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित इन शिक्षकों को दुर्गम एवं अति दुर्गम क्षेत्रों के महाविद्यालयों में भेजा गया है। जिससे राजकीय महाविद्यालयों में संस्कृत शिक्षकों की कमी दूर होगी और देववाणी संस्कृत को बढ़ावा मिलेगा।

राजकीय महाविद्यालयों में ढ़ांचागत सुविधाओं के विकास के साथ-साथ शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में राज्य लोक सेवा आयोग से संस्कृत विषय में चयनित एक दर्जन सहायक प्राध्यापकों को प्रदेश के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में रिक्त पदों पर प्रथम तैनाती दे दी गई है। इन सभी नवनियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसरों को दुर्गम व अति दुर्गम क्षेत्र के महाविद्यालयों में भेजा गया है। जिसमें दीपक कुमार कोठारी को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर, कंचन तिवारी व विनोद कुमार को पीजी कॉलेज उत्तरकाशी, सुश्री आरती आर्य को राजकीय महाविद्यालय दन्या, सुश्री मंजू पाण्डे को चिन्यालीसौड, डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र को मजरामहादेव, मनोज जोशी व , डॉ. महेश चन्द्र शर्मा को जैंती, सुश्री रजनी नेगी को थलीसैण, सुनीता जोशी को गणाई गंगोली, सुश्री निर्मला को बेतालघाट और डॉ. गोविंद कुमार को राजकीय महाविद्यालय बलुवाकोट में दी गई है। नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों की तैनाती से महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर होने के साथ-साथ शैक्षणिक गुणवत्ता में भी सुधार होगा। संस्कृत विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति से छात्र-छात्राओं का देववाणी संस्कृत के प्रति रूझान बढ़ेगा और राज्य की द्वितीय राजभाषा के प्रसार-प्रसार को भी गति मिलेगी।

शिक्षा मंत्री का बयान

राजकीय महाविद्यालयों में संस्कृत विषय के एक दर्जन सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति कर दी गई है। इन शिक्षकों के आने से महाविद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार होगा, साथ ही संस्कृत शिक्षा के प्रसार में भी वृद्धि होगी। – डॉ. धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड।

About The Author

Leave a Reply

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial
Verified by MonsterInsights